एक सोच
एक सोच
वीभत्स भी सुंदर भी है
डर भी है और प्रेम भी
खुशियां भी हैं और गम भी हैं
ज्यादा भी हैं और कम भी हैं
कुछ नर्म हैं तो कठोर भी
मझधार भी है तो छोर भी
कहीं तपन की कोई आस है
कहीं सर्द सी बरसात है
उबलते हुए जज्बात हैं
कहीं जज्ब होते ख्वाब हैं
कहीं होंसलों की उड़ान है
कहीं पस्त होते अरमान हैं
कोई जीने के वास्ते मर रहा
कोई मर मर के जिंदगी से गुजर रहा
बस एक सोच का ही तो है फरक
ये फरक ही तो भारी पड़ रहा।
आभार – नवीन पहल – ०८.०४.२२ 🤔🤔😊
# प्रतियोगिता
Reyaan
10-Apr-2022 01:31 PM
Very nice
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Shrishti pandey
09-Apr-2022 11:43 AM
Very nice
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Punam verma
09-Apr-2022 08:13 AM
Very nice
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